सावधान ! कहीं आप भी न हो जाएं डिजिटल अरेस्ट

सावधान ! कहीं आप भी न हो जाएं डिजिटल अरेस्ट

 नोएडा में 73 साल की महिला को अनजान नंबर से फोन आता है। कॉलर खुद को कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताते हुए कहता है कि आपके नाम से आए पैकेट में कुछ संदिग्ध वस्तुएं हैं। ड्रग्स हैं। महिला हक्की-बक्की रह जाती हैं। उन्हें बताया गया कि इस मामले की जांच मुंबई की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो पुलिस कर रही है। महिला से स्काइप साफ्टवेयर इंस्टाल कराकर वीडियो कॉल की जाती है। वह देखती हैं कि दूसरी ओर जो बात कर रहे हैं, वह पुलिस की वर्दी में हैं। महिला को बताया जाता है कि उन्हें केस क्लीयर कराना है तो जांच में लगातार शामिल होते रहना है। इस तरह 5 दिन उन्हें घर में ही डिजिटल अरेस्ट रखा गया और उनके बैंक अकाउंट से 1.30 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए गए।



जयपुर में एक बैंक मैनेजर महिला को फोन करने वाला खुद को दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का अफसर बताता है। वह महिला से कहता है कि उनके आधार कार्ड पर महाराष्ट्र में ली गई एक सिम का इस्तेमाल कई अवैध कामों के लिए हो रहा है। बैंक मैनेजर सोच भी नहीं पाती कि ऐसा कैसे हो गया, तभी कॉलर महिला को दूसरी सिम जारी कराने को कहता है, लेकिन वह मना करती हैं। इस पर वह कॉल किसी को ट्रांसफर करता है कि मुंबई पुलिस से बात कर लीजिए। महिला इतनी डर गई कि जालसाज जो-जो कहते गए, वह करती गई। खुद को कमरे में बंद कर लिया। रिजर्व बैंक में वेरिफिकेशन के नाम पर महिला के खाते से बीस लाख रुपये ट्रांसफर करा दिए गए। करीब पांच घंटे महिला उनके चुंगल में थी, अपने ही घर में डिजिटल अरेस्ट।


हरियाणा के पंचकूला में एसपी साइबर अमित दहिया बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट में जालसाज खुद को पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, रिजर्व बैंक, इंडी जैसी सरकारी एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं और ऐसी कहानी गढ़ते हैं कि फोन सुनने वाला खुद पर नहीं, उन पर विश्वास करने लगता है। उसे बताया जाता है कि वह अवैध गतिविधियों में शामिल हो गया है। कॉल रिसीव करने वाला डर जाता है, कई घंटों तक घर में ही कैद हो जाता है... और डर के मारे जैसा वह कहते हैं, वैसा करता जाता है। पैसा खुद ट्रांसफर कर देता है। जालसाज यह भी कह सकता है कि वह उस आपराधिक मामले को बंद करा देगा, जिसमें आपका कोई संबंधी या दोस्त फंसा हो। तब तक कॉल पर बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है, जब तक कि उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ऐसे झूठे कानूनी मामलों को बेनकाब नहीं करने के लिए सहमत होने के बदले मोटी वसूली की जा रही है।


डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामले साइबर क्राइम रोकने वाली एजेंसियों के लिए नई चुनौती बन गए हैं। गृह मंत्रालय चेतावनी जारी कर चुका है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आईसी) ने इस संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध का मुकाबला करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट का सहयोग लिया है। 1000 से ज्यादा स्काइप खातों को ब्लॉक कर दिया है। जालसाजों की ओर से इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड, मोबाइल डिवाइस और मूल खातों की जांच भी की जा रही है। यह पाया गया है कि यह जालसाजी सीमा के आर-पार फैले अपराध सिंडिकेट की ओर से संचालित हो सकती है। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध नेटवर्क है।



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